Last Updated on: 12/03/2024

Chancellor of BMU


महन्त बालकनाथ योगी

(कुलाधिपति)
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय
अस्थल बोहर, रोहतक।

विश्र्वस्वरूपं, जगदीशरूपं, धर्मेकयूपं यतिवर्गभूपम्।
वेदार्थसारं, त्रयतापहारं श्री मस्तनाथ सततं नमामि।।

सिद्ध शिरोमणि श्री बाबा मस्तनाथ जी महाराज की तपस्थली के पावन प्रांगण में मेरे दादा गुरु योगिराज श्रीयुत् महंत श्रेयोनाथ जी के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लगाये गये एक मात्र पौधे को मेरे पूज्य गुरूदेव महन्त श्री चाँदनाथ जी महाराज ने अपनी दूर दृष्टि, कड़ी मेहनत, लगन एवं कर्मठता से एक वट वृक्ष का रूप दिया अर्थात् उन्होंने एक मात्र शिक्षण संस्थान से बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय बनाया जिसमें आज 11 संकाय एवं 50 से अधिक पाठ्यक्रम चल रहे हैं। पूज्य गुरूदेव के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलते हुए मैं इस विश्वविद्यालय को उन्नति के सर्वोत्तम शिखर पर ले जाने के लिए भरसक प्रयत्न कर रहा हूँ, ताकि देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय का नाम बड़े सम्मान और विश्वसनीयता के साथ लिया जाये।

मैं इस विश्वविद्यालय में शिक्षा, चिकित्सा, अध्यात्म,संस्कृति,योग एवं नैतिकता के भव्य भवन का निर्माण करने के लिए कुछ ऐसे विशिष्ट कार्य कर रहा हूँ; ताकि इससे जुड़ा हुआ हर कर्मचारी, अधिकारी, विद्यार्थी एवं समाज इससे जुड़ने में अपनी आन-बान एवं शान समझे। इतना ही नहीं विश्वविद्यालय की प्रत्येक पाठयचर्या को परम्परा तथा आधुनिकता से सम्बद्ध करने का कार्य भी प्राथमिकता के आधार पर रखा गया है|पूज्य गुरुदेव की मान्यता थी की समाज को शिक्षित करने से बड़ी कोई तपस्या नहीं है। इसीलिए वे कहते थे कि -

Education breeds Confidence
Confidence breeds Hope
Hope breeds Peace
Peace breeds Positivity
Positivity breeds feelings to do something good for others.
And to do good for others is the greatest enjoyment in life.

वैसे भी संन्तो का अपना कुछ नहीं होता वे तो केवल मात्र समाज के उत्थान के लिए जन्म लेते हैं और समाज की भलाई के लिए मर मिटते हैं। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होने के नाते मेरी यही कामना है कि विश्वविद्यालय का हर व्यक्ति अपने काम में पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता से जुट जायें| विधार्थी पढ़ने में, शिक्षक पढ़ाने में, कर्मचारी एवं अधिकारी अपने कर्तव्य को ठीक से निर्वाह करने में लग जाए, फिर देखना वह दिन दूर नहीं होगा, जिस दिन यह विश्वविद्यालय अपने सपनों का, लोगों के सपनों का विश्वविद्यालय होगा। मैं अपने सभी शिक्षकों एवं अधिकारियो से आह्वान करता हूँ कि वे अच्छे अध्यापन, गुणवत्तापरक अनुसंधान, रोजगारोन्मुखी पाठ्यचर्या, मूल्योन्मुखी शिक्षा पर अधिक बल दें; जिससे विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ शिक्षा संस्थानों की पंक्ति में खड़ा किया जा सके | अंत में हमारी मंगल कामना है कि-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भागभवेत्।